रिपोर्ट / डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 20 साल में पहली बार घट सकता है; 13.5 लाख करोड़ का लक्ष्य, अभी सिर्फ 7.3 लाख करोड़ मिले

नई दिल्ली. डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन (कॉर्पोरेट एवं पर्सनल इनकम टैक्स) 20 साल में पहली बार घट सकता है। चालू वित्त वर्ष में यानी यानी 31 मार्च तक सरकार ने 13.5 लाख करोड़ रुपए के कलेक्शन का लक्ष्य रखा था। यह टार्गेट पिछले वित्त वर्ष के वास्तविक कलेक्शन (11.37 लाख करोड़ रुपए) के मुकाबले 17% अधिक है। लेकिन, न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि डायरेक्ट टैक्स से 23 जनवरी तक सिर्फ 7.3 लाख करोड़ रुपए मिल पाए हैं। यह पिछले साल इसी समय तक हुए कलेक्शन से 5.5% कम है।


पिछले 19 साल में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन





















































































वित्त वर्षडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन (रुपए करोड़)
2000-0168,305
2001-0269,198
2002-0383,088
2003-041,05,088
2004-051,32,771
2005-061,65,216
2006-072,30,181
2007-083,14,330
2008-093,33,818
2009-103,78,063
2010-114,45,995
2011-124,93,987
2012-135,58,989
2013-146,38,596
2014-156,95,792
2015-167,41,945
2016-178,49,713
2017-1810,02,037
2018-1911,37,685

टैक्स कलेक्शन में कमी की 2 वजह: अर्थव्यवस्था में सुस्ती, कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती



  • रिपोर्ट में कहा गया है कि मांग में कमी की वजह से कंपनियां निवेश और रोजगार में कटौती कर रही हैं। इससे टैक्स कलेक्शन प्रभावित हो रहा है। इन वजहों से सरकार ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ सिर्फ 5% रहने का अनुमान जारी किया है। यह 11 साल में सबसे कम होगी।

  • टैक्स अधिकारियों ने कहा, "पिछले साल कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती करना भी टैक्स कलेक्शन में कमी की प्रमुख वजहों में से एक है।" सरकार ने सितंबर में कॉर्पोरेट टैक्स 30% से घटाकर 22% किया था। यह फैसला 1 अप्रैल से ही लागू माना गया था। इस फैसले से सरकार ने टैक्स कलेक्शन में 1.45 लाख करोड़ रुपए की कमी आने का अनुमान लगाया गया था।


सरकार के राजस्व में डायरेक्ट टैक्स की 80% हिस्सेदारी
मुंबई के एक टैक्स अधिकारी का कहना है 'पिछले साल जितना कलेक्शन हो जाए तो भी खुशी की बात होगी। लेकिन, अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखते हुए ऐसा लगता नहीं है।' मुंबई टैक्स कलेक्शन का बड़ा केंद्र है। डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन का एक तिहाई हिस्सा वहीं से आता है। सरकार के सालाना राजस्व अनुमान में डायरेक्ट टैक्स की 80% हिस्सेदारी होती है। इसमें कमी आने से सरकार को अपने खर्चों के लिए ज्यादा कर्ज लेना पड़ेगा।