जिले में 70 हजार से ज्यादा हेक्टेयर में मूंगफली की फसल खराब व्यक्तिगत क्लेम दर्ज कराने व विशेष गिरदावरी से मिलेगा मुआवजा

ओसियां . बेमौसम बारिश के बाद पानी से खराब हुई मूंगफली की फसल को दिखता हुआ किसान परिवार

फलोदी में 51 व बाप में 53 एमएम बारिश, दो दिन से लगातार बारिश ने किसानों की कमर तोड़ी,

भास्कर न्यूज | तिंवरी

जिले में एक लाख हेक्टेयर में पकी पकाई फसल को सुखाने के लिए खेतों में रखी फसल पर बारिश आफत बन आई। करीब 70 हजार हेक्टेयर में फसल काली पड़ गई है। वहीं, कपास में रुई की तुड़ाई से पहले बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। कृषि विभाग के उप निदेशक वीरेन्द्रसिंह सोलंकी के अनुसार बारिश से भीग जाने के बाद मूंगफली के दानों में फंगस और काला पड़ने से गुणवत्ता में कमी आएगी। वहीं, चारा पशुओं के खाने योग्य नहीं रहेगा।

सहायक निदेशक जीवणराम भाकर ने बताया कि 60 हजार हेक्टेयर में कपास की फसल में दूसरी चुगाई चल रही थी। सोलंकी ने बताया कि कटी हुई फसल के खेत में खराब होने पर फसल बीमा क्लेम का प्रावधान है, इसके लिए किसानों को व्यक्तिगत फसल बीमा कंपनी के टोल फ्री नम्बर 18002095959 पर शिकायत दर्ज करानी होगी।

फसल बीमा क्लेम दर्ज करवाने में किसानों को आ रही परेशानी

किसान संघ के वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष रामनारायण जांगू ने बताया कि बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर के व्यस्त रहने व क्लेम दर्ज करवाने के दौरान क्लेम दर्ज करने में टालमटोल के रवैये से किसान परेशान है। क्लेम दर्ज नहीं हो रहे। उन्होंने बीमा कंपनी को पाबंद करने के साथ ही सरकार विशेष गिरदावरी करवा कर मुआवजा दिलवाने व समर्थन मूल्य खरीद में गुणवत्ता में शिथिलता देकर राहत दिलवाने की मांग की है।

किसान ऐसे दर्ज कराएं शिकायत

कलाऊ. खेतों में भरे पानी से खड़ी फसले खराब।

किसान बरसात बंद होने के 72 घंटों के अंदर जिले में फसल बीमा करने वाली बजाज एलायंस कंपनी के टोल फ्री नंबर 1800 290 5959 पर अपनी शिकायत दर्ज करवाएं। शिकायत दर्ज करवाते समय आधार नंबर, बैंक खाता नंबर, खसरा नंबर सहित आवश्यक जानकारी साथ रखे।

ग्रामीण इलाकों में जगह-जगह भरा पानी, बािरश थमने से राहत की सांस ली

फलोदी | फलोदी कस्बे में दो दिन 51 एमएम बारिश दर्ज की गई है। बुधवार सुबह शुरू हुई बारिश शुक्रवार सुबह तक जारी रही। जिससे कस्बे के विभिन्न गली मोहल्लों एवं पुलिस थाना रोड से लेकर पुराने बस स्टैंड तक जगह-जगह पानी जमा हो गया। डाक बंगले के आगे गर्म कपड़े बेचने के लिए लगी दुकानों के संचालकों ने मोटर पम्प लगाकर पानी को बाहर निकाला।

बाप | तीसरे दिन शुक्रवार की सुबह बरसात थम गई। हालांकि आसमान में बादल अभी भी छाए हुए हैं। बरसात थमने से लोगो ने राहत की सांस ली है। बाप में दो दिन में 53 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई। लगातार बारिश से तालाब व नाडियां लबालब हो गए। कस्बे में स्थित मेघराजसर तालाब में भी बरसाती पानी की अच्छी आवक हुई है। तालाब स्थित भैरू बाबा के मंदिर में पानी भर गया। बरसात थमने के बाद किसानों ने खेतों में बर्बादी का मंजर देखा तो कलेजा मुंह को आ गया। भारतीय किसान संघ बाप तहसील अध्यक्ष हनुमान अमराणी ने सरकार से खराबे का सर्वे करवा मुआवजा दिलाने की मांग की है। अमराणी ने बताया कि काट कर रखी गई ग्वार व अन्य फसलें भीगने से शत प्रतिशत खराब हो गई। तहसीलदार भवानीसिंह ने बताया कि पटवारियों को बारिश से हुए नुकसान का मौके पर जाकर देख उसकी रिपोर्ट करने के निर्देश दिए हैं। यह सामान्य बरसात है। खरीफ की 90 फीसदी फसलें कट चुकी है। 5 से 10 फीसदी खड़ी फसलों में नुकसान हुआ है।

33 फीसदी से कम नुकसान होने पर फसल बीमा कंपनी पीडि़त किसान को क्लेम देगी। किसान बरसात बंद होने के 72 घंटों के अंदर जिले में फसल बीमा करने वाली बजाज एलायंस कंपनी के टोल फ्री नंबर 1800 290 5959 पर अपनी शिकायत दर्ज करवाएं। शिकायत दर्ज करवाते समय आधार नंबर, बैंक खाता नंबर, खसरा नंबर सहित आवश्यक जानकारी साथ रखे।

बाप. बरसाती पानी से लबालब कस्बे में स्थित मेघराजसर तालाब।

बरसिगो का बास. कटी मुगफली फसल हुई बर्बाद।

दयाकौर. बारिश से मुंगफली कि फसल हुई खराब।

इधर, टिड्डियाें का फिर हमला बाप के कई गांवों में पहुंची

बाप। बाप क्षेत्र के किसानाें काे इस बार उसकी मेहनत का प्रतिफल शत प्रतिशत मिलता नहीं दिखाई दे रहा है। जुलाई माह से टिड्डियों के हमले से परेशान किसानों की कमर बीते तीन दिन हुई बेमौसम की बरसात ने तोड़ कर रख दी। बरसात थमते ही टिड्डी दल फिर सक्रिय हो गया है। भारी तादाद में टिड्डियों को देख किसानों के सर्द हवा में भी पसीने छूट रहे हैं। शेखासर के नरपतसिंह भाटी ने बताया कि अपर्याप्त संसाधनों की वजह से टिड्डियों का सफाया नहीं हो पा रहा है। भारतीय किसान संघ बाप तहसील अध्यक्ष हनुमान अमराणी ने बताया कि शुक्रवार दोपहर बाद अचानक राणेरी, रामनगर, पदमेतनगर, सोनलपुरा, अनोपनगर, रामपुरा सहित कई गांवों में भारी तादाद में टिड्डियां पहुंच गई। इस समय खेतों में जीरा, इसबगोल, रायड़ा, तारामीरा, चना आदि फसलें हैं।